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शुक्रवार, मार्च 09, 2018

"अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश" (चर्चा अंक-2904)

मित्रों! 
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

औरत की आज़ादी का मतलब 

साझा संसार पर डॉ. जेन्नी शबनम 
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परिक्रमा 

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 
आप सभीको हार्दिक शुभकामनाएँ... 
Sudhinama पर sadhana vaid  
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स्त्री हूँ थोडा सा प्यार चाहिये 

palash "पलाश" पर डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  
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रेगिस्तान 

प्यार पर Rewa tibrewal  
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एक स्त्री ही तो है 

आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है सब महिलाओं का दिन है हर स्त्री खास है । एक स्त्री को शब्दों को रूप देना आसान नहीं है उसके लिए जितना कहा जाए कम है क्योंकि जो वो करतीं है वो कोई नहीं कर सकता है ।
अपने घर की स्त्री का सम्मान कीजिए ये तो वो जीवन के हर सफर हर मोड़ पर साथ निभाती है कम मिले या ज्यादा उस हाल में सबकी मुस्कान बन जाती है... 

नन्ही कोपल पर कोपल कोकास  
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दोहे  

"नारी के नव रूप"  

(राधा तिवारी) 

साहस से अपनी चले, राधा सीधी चाल l
 सागर की लहरें सदा, लाती है भूचाल ll

जीवन के हर क्षेत्र , करती रही कमाल l
 लेकिन दुनिया नारि परकरती सदा सवाल... 
RADHA TIWARI 
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ... 

जुनून .. 

गीता पंडित 


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करती निरंतर परिक्रमा ... 

नीतू ठाकुर 


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हमें अष्‍टभुजी रहने दो,  

औज़ार ना बनाओ 

अब छोड़ो भी पर Alaknanda Singh  
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केंद्र की नीति से 

मर जायेंगे लघु उद्योग  

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 अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस और हम 

मयंक की बात पर डॉ. मयंक चतुर्वेदी  
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स्त्रीशतक मेरी नज़र में 

vandana gupta  
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महिला दिवस पर-- 

कहानी हमारी-तुम्हारी ---  

डा श्याम गुप्त ... 

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महिला सशक्तीकरण------ 

तब अब --- 

कुछ झलकियाँ----  

भाग एक----- 

डा श्याम गुप्त .... 

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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार.... 

त्रिलोचन 

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित 
पास आओ आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, 
है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं 
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा 
हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो 
फूल-से, मत अलगाओ सबमें 
अपनेपन की माया 
अपने पन में जीवन आया  
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal 
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पायदान... 

सीढ़ी की पहली पायदान हूँ मैं 
जिसपर चढ़कर समय ने छलाँग मारी 
और चढ़ गया आसमान पर 
मैं ठिठक कर तब से खड़ी 
काल चक्र को बदलते देख रही हूँ... 
डॉ. जेन्नी शबनम  
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सखाराम मार्च 2018 से आरम्भ 

क्यों रे सखाराम -  
और कितना उत्पात मचाएगा  
और झूठ बोलेगा  
उल्लू के चचा.. 
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik 
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वार्षिक उत्सव आज मनाया 

महीने भर का था परिश्रम 
परिवेश सुखद बन आया 
हर्ष-उल्लास-उमंग से भरकर 
वार्षिक उत्सव आज मनाया... 
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बच्चे 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar  
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तुम कनक किरन...  

जयशंकर प्रसाद 

तुम कनक किरन के अंतराल में 
लुक छिप कर चलते हो क्यों ? 
नत मस्तक गवर् वहन करते 
यौवन के घन रस कन झरते हे 
लाज भरे सौंदर्य बता दो  
मोन बने रहते हो क्यो?... 
विविधा.....पर yashoda Agrawal  
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9 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
    बहुत सुंदर प्रस्तुती
    सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. महिला दिवस पर बहुत सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुतियों के इस अद्भुत संकलन के लिए बहुत बहुत बधाई शास्त्री जी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत शानदार चर्चा ............हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया संयोजन ... बधाई , बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं

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