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मंगलवार, नवंबर 28, 2017

"मन वृद्ध नहीं होता" (चर्चा अंक-2801)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बादलों की ओट से 

झांकता है चाँद 

पानी की लहरों पे 
लहराता है चाँद ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  
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भाषाई सौहार्द 

प्रकृति की अनुगूंज से 
नदियों की धारा
सागर की लहरों
पक्षियों से कलरव से
निकली जो दिव्य ध्वनियाँ 
सैकड़ो वर्षों तक 
सभ्यता की कंदराओं में 
किया विश्राम 
गढ़े  शब्द 
मानव की जिह्वा से 
गुज़रते हुए पाए अर्थ 
यही बने मानव के उदगार के माध्यम
कहलाये भाषा ... 
सरोकार पर Arun Roy 
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निष्पक्षता 

निष्पक्षता एक ऐसा गुण है जो सबके पास नहीं होता. सदैव निष्पक्ष रहने का दावा करने वाला मनुष्य भी कभी न कभी पक्षपात करता ही है. एक ही कोख से जन्म देने के बाद भी दुनिया में सबसे अधिक सम्माननीय और देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां भी कई बार अपने दो बच्चों में फर्क करती है तो समाज से कैसे निष्पक्षता की उम्मीद कर सकते हैं... 
Sudha Singh  

मुक्त-ग़ज़ल : 246 -  

क़ब्र खोदने को  

हैराँ हूँ लँगड़े चीतों सी तेज़ चाल लेकर ॥ 
चलते हैं रोशनी में अंधे मशाल लेकर... 
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चिड़िया: बूँद समाई सिंधु में ! 

 प्रीत लगी सो लगि गई, अब ना फेरी जाय । 
बूँद समाई सिंधु में, अब ना हेरी जाय ।। 
हिय पैठी छवि ना मिटे, मिटा थकी दिन-रैन । 
निर्मोही के ... 
आपका ब्लॉग पर Meena Sharma  
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24 बरस 

दो युग बीत चुके, कुछ बीत चुके हम, 
फिर बहार वही, वापस ले आया ये मौसम.... 
बीते है 24 बरस, बीत चुके है वो दिन, 
यूँ जैसे झपकी हों ये पलकें, मूँद गई हों ये आँखे... 
Purushottam kumar Sinha  
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Vitamin D deficiency and lnsufficiency : 

A global public-health problem (Hindi l ) 

दुनिया भर में फिलवक्त कोई एक अरब लोग या तो इस "सनशाइन विटामिन "की कमी से या फिर अ -अपर्याप्त आपूर्ति से ग्रस्त हैं और समस्या ने तकरीबन एक आलमी (ग्लोबल )रुख ले लिया लगता है। इसी कमीबेशी के चलते यहां वहां कहीं बच्चों का सूखा रोग (रिकेट्स )तथा कहीं और ओस्टोमलासिया सिर उठाये हुए है। और बात सिर्फ इतनी ही नहीं है जब जिन्न बोतल से बाहर आता है तो पूरा पैंडोरा बॉक्स ही खुल जाता है एक समस्या दूसरी को जन्म ही नहीं देती उसका पोषण भी करने लगती है इसी का नतीजा है के इस कमीबेशी के चलते मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स (चयापचयन संबंधी शिकायतें )ही नहीं ,ऐसी बीमारियां भी उभर रहीं हैं... 
Virendra Kumar Sharma 
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तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ.. 

तेरी हर अदा.. 
तेरे हर अंदाज, के जानने हैं 
हर अदा.. तेरे हर अंदाज, 
के जानने हैं मुझे सब राज, दे
खना है मुझे वो सब.. 
है जिस जिस पे तुझे नाज़, 
आज न कर कोई रोक टोक.. 
है यहाँ कोई नहीं.. 
मैं तेरे घर पे हूँ. 
तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ, 
Dipanshu Ranjan  
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यह तुम भी जानते हो 

तुम्हारी दुआओं में कब
शामिल हुआ मेरा हिस्सा 
फकत तुम्हारी कालीन 
बनकर रह गया मेरा किस्सा ... 
Mera avyakta पर 
राम किशोर उपाध्याय  
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5 टिप्‍पणियां:

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