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बुधवार, सितंबर 06, 2017

तरु-शाखा कमजोर, पर, गुरु-पर, पर है नाज; चर्चामंच 2719

दोहे
तरु-शाखा कमजोर, पर, गुरु-पर, पर है नाज । 
कभी नहीं नीचे गिरे, ऊँचे उड़ता बाज।।


सत्य बसे मस्तिष्क में, होंठों पर मुस्कान। 

दिल में बसे पवित्रता, तो जीवन आसान।। 


चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

कुटाई वाले गुरूजी 

दिनेशराय द्विवेदी 

जीवन, यात्रा और हम 

अनुपमा पाठक 
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8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर बहुत से नए सूत्र मिले आज की चर्चा में ...
    आभार मुझे भी शामिल करने का

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति। आभार रविकर जी 'उलूक' के सूत्र को स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छा संकलन मेरी पोस्ट को बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं

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