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शनिवार, जुलाई 29, 2017

"तरीक़े तलाश रहा हूँ" (चर्चा अंक 2681)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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तुम और मैं 

सु-मन (Suman Kapoor) 
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तरीक़े 

जीने के तरीक़े तलाश रहा हूँ 
शायद अपने आप को संभाल रहा हूँ... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
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तेरे बिना 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar 
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लघुकथाः 

तो अब देख लेंगे। 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 
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चांद निकला आंगन हमारे 

शाम कठिन है रात कड़ी है 
आंसूओं की लगी झड़ी है , 
राह निहारे प्रियतम तेरी 
पथ पर आज गोरी खड़ी है... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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बनोगी उसकी ही कठपुतली 

माथे ऊपर हाथ वो धरकर 
बैठी पत्थर सी होकर 
जीवन अब ये कैसे चलेगा 
चले गए जब पिया छोड़कर ... 
! कौशल ! पर Shalini Kaushik 
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एक म्‍यूजिकल स्‍केच है जग्‍गा जासूस 

ajay brahmatmaj  
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कपिल शर्मा के साथ ये तो होना ही था... 

खुशदीप 

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गुलाबी कागज के टुकडे 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  
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----- || दोहा-एकादश || ----- 

बथुरत पूला आपना, बँधेउ पराए पूल | 
भरम जाल भरमाइ के बिनसत गयउ मूल || १ || 
भावार्थ : -- 
NEET-NEET पर Neetu Singhal  

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात शास्त्री जी ! बहुत खूबसूरत एवं पठनीय सूत्रों का संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    आकर्षक कलेवर में
    अच्छा लगा
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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