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रविवार, दिसंबर 04, 2016

"ये भी मुमकिन है वक़्त करवट बदले" (चर्चा अंक-2546)

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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लहरों, 
बहुत हो गया खेल-कूद, 
बहुत हो गई मस्ती, 
बहुत घुमा दिया तुमने मुझे बीच समुद्र में, 
अब मुझे किनारे पर ले चलो. 
चाहो तो पटक दो मुझे चट्टानों के ऊपर, 
पर महसूस करने दो मुझे 
पांवों के नीचे ज़मीन के होने का सुख. 

कविताएँ पर Onkar 
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बालगीत  

"नहीं सुहाता ठण्डा पानी" 


कुहरा करता है मनमानी।
जाड़े पर छा गयी जवानी।।
  
नभ में धुआँ-धुआँ सा छाया,
शीतलता ने असर दिखाया,
काँप रही है थर-थर काया,
हीटर-गीजर शुरू हो गये,
नहीं सुहाता ठण्डा पानी।
जाड़े पर छा गयी जवानी... 
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बूझो तो जाने। .. 


सुबह सवेरे रोज जगाये 

नयी ताजगी लेकर आये 

दिन ढलते, ढलता रंग रूप 
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि  धूप ... 
shashi purwar 

राष्ट्र प्रेम की दीप शिखा पर ..... 

शब्द अंतस के उचर रहे  
प्रतिभागी राष्ट्र प्रेम के कहाँ गए  
शीश अर्पण की वेला आई  
यश गाने वाले कहाँ गए... 
udaya veer singh 
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इम्तहान 

अब बस भी कर ऐ ज़िंदगी ! 
और कितने इम्तहान देने होंगे मुझे ? 
मेरे सब्र का बाँध अब टूट चला है... 
Sudhinama पर 
sadhana vaid 
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तुम और मैं -५ 

जानती हूँ तुम नहीं हो .. 
ख़ामोशी तुम तक पहुँचने का 
मेरा पसंदीदा एकमात्र विकल्प है !! 
सु-मन (Suman Kapoor) 
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जिनमें असीर है कई 

यूँ तो कुछ नहीं बताने को.. 
चंद खामोशियाँ बचा रखे हैं 
जिनमें असीर है कई बातें 
जो नक़्श से उभरते हैं 
खामोशियों की क्या ? 
कोई कहानी नहीं... 
Pammi Singh 
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ब्रेड की रसमलाई 

*क्या *आप भी ऐसी कोई मिठाई बनाना चाहते है, जो कम मेहनत में बने...स्वादिष्ट हो...बिना घी से बनी हो ताकि सेहत के लिए नुकसानदायक भी न हो...तो यह मिठाई स्पेशली आप ही के लिए है! यदि घर में मेहमान आने वाले हो और आपको व्यंजन पहले से बना कर रखना है तो यह मिठाई बना सकते है। तो आइए, आज हम बनाते है ब्रेड की रसमलाई... 
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बाई पुराण 

बाई मेरे तुम्हारे बीच
बड़ा पुराना रिश्ता था
पैसे से न तोला जिसे
 बच्चे तक लगाव  रखते थे तुमसे 
शायद तब शरीर सक्षम था मेरा 
मैं तुम पर आश्रित न थी
जब भी कोई मेहमान आता
तुम अपना फर्ज निभाती थीं... 
Akanksha पर 
Asha Saxena 
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भोपाल 

भोपाल शहर के बनने और बसने के बीच उजड़ता है बहुत कुछ कुछ मंदिर कुछ मस्जिद कुछ महल और कुछ मजारे बची रहती हैं है बार उजड़ने से पहले न मालूम सदियों पहले जिसे राजा भोज ने बसाया था कौन रहा होगा इस नगर भोपाल की भीमवेटिका की गुफाओं में और जब नवावो ने बनाये होंगे हवेलियाँ कितने ही हाथों के ज़ख्म दफन होंगी इनमे शहर तमाम दुखों के बाद भी रहता है ज़िंडा जैसे ज़िंदा है आज भोपाल उस गैस रिसाव हादसे के बाद कौन देख रहा है आज रिसते हुए औरतों को खांसते हुए आदमियों को जली हुई चमड़ी लेकर पैदा हुए बच्चों को कौन पढ़ रहा है न्यायालयों की याचिकाओं में दर्ज़ मुर्दा नामों को खड़े हैं फन उठाये... 
सरोकार पर Arun Roy 
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पंखुड़ी बनते ही बिखर जाएंगे 

कल फतेह सागर झील के ऊपर कुछ पक्षी कतारबद्ध होकर उड़ रहे थे, उनका मुखिया सबसे आगे था। मुखिया को पता है कि उसे कहाँ जाना है, उसकी सीमा क्या है। किस पेड़ पर रात बितानी है और कितनी दूर जाना है। सारे ही पक्षी अपने मुखिया पर विश्वास करते हैं। सभी को पता है कि हमारी भी एक सीमा है, हम सीमा के हटकर कुछ भी करेंगे तो जीवन संकट में पड़ जाएगा। हम अपने घर में, समाज में, देश में सीमाएं या नियम इसीलिये बनाते हैं कि सब सुरक्षित रहें लेकिन कुछ लोग अपनी सीमाओं को तोड़ने का दुस्साहस करते हैं। वे स्वयं की सुरक्षा को तो ताक पर रख ही देते हैं ... 
smt. Ajit Gupta 
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Posts of 2 Dec 2016 

उज्जवला योजना के तहत बांटे गए गैस कनेक्शन के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, के अनुसार गैस कंपनियां विज्ञापन सीखा रही है कि गैस चूल्हे और टंकी के इस्तेमाल में क्या क्या सावधानियां रखनी है। अच्छा विज्ञापन है बहुत बारीकी से बनाया गया है, मैंने भी सीखा इससे बहुत कुछ। बस बता रहा हूँ कि 21 वी सदी के डिजिटल इंडिया में हम कहाँ से अभी शुरुवात कर रहे है ;- शौचालय के इस्तेमाल से गैस के चूल्हे और टंकी के इस्तेमाल से जैविक खाद के इस्तेमाल से कचरा सही जगह कैसे फेंके लाईंन में खड़े कैसे हो बैंक अकाउंट खोलना और इस्तेमाल करना आधार कार्ड बनवाने से भ्र्ष्टाचार रोकना... 
Sandip Naik 
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हँसता हुआ जो जाएगा, 

वो मुकद्दर का सिकंदर 

जान ऐ मन कहलायेगा 

सारे टी वी एंकर्स , प्रिंट मीडिया नोटबंदी को लेकर हलकान हुए जा रहे है। कहाँ कितनी लंबी लाइन लगी है? कहाँ कौन दुखी है, कौन गश खा कर गिर गया, कौन हार्ट अटेक से परलोक सिधार गया, कौन अम्मा भूखी रह गयी कौन बाबा दुःख से पगलाया हुआ है...किसका ब्याह रुक गया, नहीं रुका नहीं। किसके ब्याह में नोटबंदी से अड़चन आ गयी? या रब बेकार बातें,कबाड़ बातें। रोज़ वही मिच -मिच। रोज़ वही टॉपिक। सभी दुखियारों का इन मीडिया वालों से जबरदस्त कॉन्ट्रैक्ट है। तभी तो इनकी माइक्रस्कोपी आँखों को ये सब दिखता रहता हैं। किसी एक के मुंह में माइक लगा कर कुछ सुनवा देते हैं। फिर हमसे उम्मीद - लो जी सारे देश का नक्शा यही है... 
Sehar पर 
Ria Sharma 
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बैंक के आगे लंबी कतारें 

और एटीएम के शटर डाऊन 

अभी एक मित्र बैंक से आ रहे हैं, बहुत लंबी लाईन थी और बैंक में एक समय में एक ही बन्दे को अन्दर जाने दे रहे थे। अंदर जाकर देखा कि 1 ही लाईन है, जमा और भुगतान दोनों की। उन्हें पुराने नोट जमा करने थे, उसमें उन्हें 2 घंटे लग गये,.. 
कल्पतरु पर Vivek 
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कुछ तो रह जाता है ... 

पर उसके शरीर से लगे थे उसके ... 
यानि उस स्त्री के वह - 
जो चाहती थी उड़ना 
लेकिन उसे किसी ने बताया ही नहीं कि 
उसे उड़ना है वह उड़ सकती है ! 
उसे तो गुड़िया घर से उठाकर दान कर दिया गया 
शालीनता, सहनशीलता का पाठ पढ़ाया गया... 
रश्मि प्रभा.
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बीजेपी संगठन में 

भला कोई क्यों काम करे? 

भारतीय जनता पार्टी ने लम्बे समय से इंतजार कर रही दिल्ली और बिहार इकाई को उनका नया अध्यक्ष दे दिया है। मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया गया है। साथ ही बिहार इकाई का अध्यक्ष नित्यानंद राय को बना दिया गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी गायक हैं, भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता हैं। संगठन में कोई खास काम नहीं किया है... 
HARSHVARDHAN TRIPATHI 
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”ये भी मुमकिन है वक़्त ले करवट …..” 

बस तबाही के ही आसार नज़र आते हैं ,  
लोग जालिम के ही तरफदार नज़र आते हैं ,  
ज़ुल्म भी हम पे ही होता है ज़माने में सदा  
और फिर हम ही गुनाहगार नज़र आते हैं ... 
! कौशल ! पर 
Shalini Kaushik  
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टूट जाए जो मेरा दिल तो ख़ता क्या दोगे 

अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे । 
है पता खूब वफाओं का सिला क्या दोगे।। 
खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर । 
लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे...
Naveen Mani Tripathi 
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10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सार्थक बेहतरीन लिंक्स ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

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  2. शानदार चर्चा..
    ☺मेरी रचना शामि‍ल करने का शुक्रि‍या..

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स से सजा आज का मंच
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा! मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ..आभार!

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  6. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. आभार.

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  7. चर्चा मंच
    बहुत बढिया शानदार

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  8. samay ke sath charchamanch ne apna sthan blog yug me pukhta kar liya hai .blogs kee charcha ho aur charchamanch kee charcha na ho aisa sambhav hi nahi hai .meri post ko ek bar fir sthan dene hetu hardik dhanyawad.

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