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सोमवार, अगस्त 08, 2016

"तिरंगा बना देंगे हम चाँद-तारा" (चर्चा अंक-2428)

मित्रों 
सोमवारवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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अमन का चमन है वतन ये हमारा।नही शातिरों का यहाँ है गुजारा।।हिदायत हमारी है सीमा न लाँघो,
मिटा देंगे पल भर में भूगोल सारा।
दिया "रूप" हमने, भरा रंग हमने, तिरंगा बना देंगे हम चाँद-तारा... 
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दोस्‍त है वही !!! 

सुबह शाम कैसे हो दोस्‍त कहे मेरा ये मित्र !  
... संग दोस्‍त का अनमोल ये पल साथ हैं हम !  
... फूल दोस्‍ती का साथ निभाते हुये महका करे !  
... साथ चले जो दूर रहकर भी दोस्‍त है वही !  
... दोस्‍त जिंदगी रिश्‍ता ईमान का ये जान से प्‍यारा... 
SADA 
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अच्छा लगता है 

[ गजल ] 

यूँ तेरा मुस्कुराना अच्छा लगता है 
झुकी नजरें चुराना अच्छा लगता है... 
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया  
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व्यर्थ नहीं यह जीवन 

व्यर्थ नही यह जीवन 
बहुत कुछ करना अभी शेष है... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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वक़्त 

वक़्त को दीवार पर टांग रखा है और... 
SB's Blog पर Sonit Bopche 
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🌹 तन्हाई 🌹 

(एक किसान के जीवन में) 
आपका ब्लॉग पर G.S. Parmar  
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