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मंगलवार, अप्रैल 19, 2016

"दिन गरमी के आ गए" (चर्चा अंक-2317)

मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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कटे हुए शाहिल का..... 

कटे हुए शाहिल का शजर हो गया हूँ  
अपनी गुमनामी की खबर हो गया हूँ... 
udaya veer singh 
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ज्योतिष को बंदनाम करते ज्योतिषी 

ज्योतिष को बंदनाम करते ज्योतिषी देहरादून ( उत्तरांचल ) मे 13-14 मार्च 2016 को राष्ट्रीय समाचार पत्र अमर उजाला व कानपुर के नामी ज्योतिषी श्री पदमेश जी के सहयोग से ज्योतिष महाकुंभ का आयोजन किया गया जिसमे ज्योतिष के क्षेत्र मे अपने अमूल्य योगदान के लिए “श्री बेजान दारुवाला जी” को “लाइफ टाइम अचिवमेंट” अवार्ड प्रदान किया गया | देशभर से लगभग 150 ज्योतिषी इस ज्योतिषीय महाकुंभ मे शामिल हुये थे जिनमे प्रमुख श्री पवन सिन्हा (एस्ट्रो अंकल),श्रीमती पुजा मदान,श्री वेणी माधव गोस्वामी,डॉ किशोर घिल्डियाल,पंडित भोला राम कपूर ( सभी दिल्ली ) डॉ पी॰पी॰एस राणा,पंडित सुशांत राज... 
Kishore Ghildiyal 
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मेहमां-ए-चंद रोज़ 

जीना पड़ा तो दर्द जबीं पर उभर गए  
ख़ुद्दार ख़्वाब टूट ज़मीं पर बिखर गए... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
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खतरा 

*चेतावनी -* *91140....से 
शुरू होने वाले नंबर न उठाया करें, 
सब * *मार्केटिंग वालों के ही होते हैं |* 
मेरे मन की पर अर्चना चावजी 
Archana Chaoji 
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पूर्ण विराम ..... 

झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
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SIP ......  

systematic investment of प्यार 

आज एक मित्र ने UP पुलिस के IG नवनीत सिकेरा जी की एक पोस्ट शेयर की है , जिसमे उन्होंने एक बहुत मार्मिक story शेयर की है । किस्सा उनके एक मित्र के परिवार का है जिसमे एक व्यक्ति की पत्नी और बच्चे उनकी बूढी माँ की care नहीं करते और उन्हें सबक सिखाने के लिए वो उन्हें एक वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं । बड़ी मार्मिक कहानी है । उसका दुःखद पहलू ये है की बहू अपनी सास की सेवा न करे , वो बात समझ आती है पर नाती पोते भी दादी से बात नहीं करते ... 
Akela Chana पर Ajit Singh Taimur 
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अब आनंद लीजिए  

पेपरलेस पासपोर्ट का ! 

जहां वर्तमान में जहां हर काम डिजिटल तकनीक की मदद से हो रहा है ऐसे में भला पासपोर्ट भी डिजिटल होने से कैसे बच सकता था। बहुत जल्द पासपोर्ट भी डिजिटल हो सकता है ? मतलब अब आपको विदेश जाते समय पासपोर्ट को अपने साथ ले जाने की जरूरत नहीं होगी। सोचो अगर आप एयरपोर्ट पहुंचने वाले हैं और अपना पासपोर्ट घर पर ही भूल गए हैं? तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि... 
Manoj Kumar 
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गजल 

कविता मंच पर Rajesh Tripathi 
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मेरे अंदर एक संसार है 

बचपन है, जवानी है और मेरा भविष्य है। मेरे अंदर मेरे माता-पिता है, भाई-बहन हैं, मेरे बच्चे हैं, पति है और मेरे मित्र हैं। बचपन का सितौलिया है, गिल्ली-डंडा है, पहल-दूज है, छिपा-छिपायी हा कंचे हैं, गिट्टे हैं, रस्सीकूद है। ताश है, चौपड़ है, केरम है, शतरंज है, चंगा-पौ है। क्रिकेट भी है, रिंग भी है, बेडमिंटन भी है, टेबल-टेनिस भी है। लड़ना-झगड़ना भी है, रूठना-मनाना भी है, पिटना और रोना भी है। गाना है, बजाना है, नाचना है, कूदना है, फांदना है। सभी कुछ तो है मेरे अंदर। मेरे अंदर मेरा पूरा परिवार है, मेरा आनन्द है, मेरी हँसी है, मेरा रुदन है। किसको ढूंढ रही हूँ मैं?... 
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"गीत गाने का ज़माना आ गया है"  

कल्पना का सूर्य नभ पर छा गया है।
गीत गाने का ज़माना आ गया है।।


मातृभाषा की सजा कर अल्पना,
रंग भरने को चली परिकल्पना,
भारती के गान गाना आ गया है। 

गीत गाने का ज़माना आ गया है... 

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