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बुधवार, मार्च 09, 2016

"आठ मार्च-महिला दिवस" (चर्चा अंक-2276)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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"आठ मार्च-महिला दिवस" 

कहने को महिला दिवसमना रहे सब आज।
मगर नारियों की यहाँ, रोज लुट रही लाज... 
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आप उन्हें देशद्रोह पर घेरेंगे वह 

वंचित दलित बन जाएंगे 

जातीय जहर का एक नया पटाखा छोड़ पीड़ित बन जाएंगे
आप उन्हें देशद्रोह पर घेरेंगे वह वंचित दलित बन जाएंगे

वह हार कर भी हारते नहीं सर्वदा जीतने का टोटका जानते हैं
बेशर्मी है सेक्यूलरिज़्म की सेक्यूलर का झुनझुना बन जाएंगे... 
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey 
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क्या-क्या नहीं हूँ मैं! मैं सृष्टि की जननी हूँ, मैं कोमलता का सरल प्रवाह हूँ। मुझसे ही होकर प्रेम निकलता हैं, मैं ही आनन्द की जननी हूँ। पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें - 
अजित गुप्‍ता का कोना पर smt. Ajit Gupta  
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नूर का इन्तेख़ाब ... 

नूर का इन्तेख़ाब कर आए 
क़ैस का घर ख़राब कर आए 
चांद की शबनमी शुआओं को 
छेड़ कर सुर्ख़ आब कर आए... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 

सहजि सहजि गुन रमैं : 

महेश वर्मा 

कला कृति : Rana Begum  
महेश वर्मा की कविताएँ 
समालोचन पर arun dev 
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जय गंगाजल - एक सीख ! 

पिछले कुछ सालो से जिस तरह से देश में जिस तरह की घटनाएं हुयी हैं, जैसे कि मुजफरनगर के हुयी दुखद घटनाएं , कांठ की हिन्दू मुस्लिम घटना , व्यापम घोटाले में हुयी दुखद मौते , सहारनपुर की घटना ,आगरा में धर्म परिवर्तन की घटना, दादरी में मुस्लिम व्यक्ति की मौत की घटना, ललित मोदी की मदद और बचाव,हाल ही में हुयी में हरियाणा के दंगे एवं दिल्ली में कन्हैया कुमार का केस.
Manoj Kumar 
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तुम्हारे साथ कॉफी पीना....!!! 

तुम्हारे साथ कॉफी पीना, 
सिर्फ कॉफ़ी पीना नही होता था.... 
उस कॉफी के साथ, 
तुम्हारे साथ गुजरी जिंदगी की, 
कई सारी यादो को दोहराना होता था.....  
कॉफी के बहाने ही सही....  
तुम्हारा आना..... 
और उस इक पल ही सही...  
मेरा तुम्हे पाना होता था.... 
'आहुति' पर Sushma Verma 
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506.  

तू भी न कमाल करती है... 

ज़िन्दगी तू भी न कमाल करती है !  
जहाँ-तहाँ भटकती फिरती  
ग़ैरों को नींद के सपने बाँटती  
पर मेरी फ़िक्र ज़रा भी नहीं  
सारी रात जागती-जागती  
तेरी बाट जोहती रहती हूँ ... 
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम 
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अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी 

[Happy Women's Day] 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 
यूँही सदियों से चल रही पीछे पीछे 
बन परछाई तेरी 
अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी 
पर क्या समझा है तुमने 
बन पाई मै कभी 
आधा हिस्सा तुम्हारा... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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महिलाओं के साथ भेदभाव  

क्यों ....? 

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष प्रस्तुति ! 
बड़े दुःख के साथ आज आप सबके साथ अपनी पीड़ा बाँटना चाहती हूँ ! औरों का तो पता नहीं लेकिन मुझे आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ज़रा भी गर्व की अनुभूति नहीं हो रही है ! विश्व में महिलाओं ने प्रगति के रास्ते पर न जाने कितने परचम लहराए हैं, सफलता के न जाने कितने कीर्तिमान स्थापित किये हैं और यश सिद्धि के न जाने कितने सोपान चढ़ कर वे सर्वोच्च शिखर पर जा पहुँची हैं लेकिन हमारे देश में महिलाओं के साथ आज भी जिस तरह से भेदभाव किया जाता है, उनके साथ जिस तरह से दोमुहाँ व्यवहार किया जाता है उससे घोर वितृष्णा का अहसास होता है... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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अमृता प्रीतम 

कोमल भावनाओं की प्रतीक 

प्रस्तुतकर्ता: प्रेम सागर सिंह 
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हम तो यूँ ही सनम मुस्कुराने लगे 

लो सुनो होश क्यूँ हम गंवाने लगे 
अब रक़ीब आपको याद आने लगे 
इश्क़बाज़ी भी है इक इबादत ही 
तो आप क्यूँ इश्क़ से मुँह चुराने लगे... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

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