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शुक्रवार, जनवरी 22, 2016

"अन्तर्जाल का सात साल का सफर" (चर्चा अंक-2229)


         आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है, समयाभाव के चलते सीधे 
चलते हैं आज की चर्चा की तरफ  ...... 

आकांक्षा सक्सेना 
र्दी और उस पर ये बरसात दद्दा मरे जात हैं कसम से,अलाव से आग तापते हुऐ बेचे चाचा बोले,बड़ी ठण्ड हैं|तभी उनकी बात काटते हुऐ मलखे दद्दा बोलो,"जे क्या ठण्ड है |ठण्ड तो हमाये जमाने में पड़त ती छप्पर पर ओले की चद्दर बिछ जात ती और दिन रात 
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 
मित्रों! 
आज से ठीक 7 साल पहले 21 जनवरी, 2009 को हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया में मैंने अपना कदम बढ़ाया था। ये सात साल न जाने कैसे गुज़र गये मुझे पता ही न लगा। ऐसा लगता है कि यह कल ही की बात है। उस समय मेरी रचनाओं ने 100 का आँकड़ा भी पार नहीं किया था। लेकिन दिन गुजरते गये और रचनाएँ बढ़ती गईं। जिनकी संख्या बढ़कर अब 2000 के आस-पास पहुँच गई हैं। 
ZEAL (डॉ दिव्या श्रीवास्तव) 
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आमतौर पर कोई भी घटना हो, समाज दो धड़ों में बंटा दिखता है ! एक सरकार विरोधी हिस्सा तत्काल ही जातिवाद का कार्ड खेलकर, घटना का राजनितिक लाभ लेने लगता है , 
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विभा रानी श्रीवास्तव 
सब की शुभकामनायें बटोर रही हूँ और हिम्मत जुटा रही हूँ ... नये पुस्तक में सम्पादन के लिए .... 
आभार सभी का ... 
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वन्दना गुप्ता 
 
एक छोटी सी खबर और साझा कर रही हूँ : 
15 जनवरी को तीसरी बात ये हुई कि मेरा कहानियों का पहला संग्रह ' अमर प्रेम व अन्य कहानियाँ ' ई - बुक के  रूप में 'नॉटनल पर ' पंकजबिष्ट ' जी द्वारा पुस्तक मेले में नॉटनल के स्टाल पर विमोचित हुआ ...... 
शिवम मिश्रा 
रासबिहारी बोस (बांग्ला: রাসবিহারী বসু, जन्म:२५ मई, १८८६ - मृत्यु: २१ जनवरी, १९४५) भारत के एक  क्रान्तिकारी नेता थे जिन्होने ब्रिटिश राज के विरुद्ध गदर षडयंत्र एवं आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य  किया। इन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में 
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कुलदीप ठाकुर  
कुलदीप ठाकुर...
नहीं बिखरते परिवार 
अगर घर के  
छोटे-मोटे झगड़े 
सुलझ चाए, 
घर में ही। 
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रविकर जी  
रोया पाकिस्तान फिर, किन्तु हँसा इस्लाम। 
कभी शिया मस्जिद उड़ी, मंदिर कभी तमाम। 

मंदिर कभी तमाम, चर्च गुरुद्वारे उड़ते । 
चले तोप तलवार, सैकड़ों किस्से जुड़ते। 

धरती वह अभिशप्त, क़त्ल-गारद की गोया। 
सदा बहेगा रक्त, जहाँ था मानव रोया। 
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अच्छी बात वही जिसको मर्जी अपनाती है
बात वही गंदी जो सब पर थोपी जाती है

मज़लूमों का ख़ून गिरा है, दाग न जाते हैं
चद्दर यूँ तो मुई सियासत रोज़ धुलाती है
अनुपमा पाठक  
उदास डाल पर 
श्वेत पंखुड़ियों ने अवतरित हो कर 
रिसते दर्द को 
थाम लिया... !! 
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लोकेन्द्र सिंह 
 
आ तंकियों ने पाकिस्तान के चारसद्दा स्थित बाचा खान विश्वविद्यालय में घुसकर विद्यार्थियों को अपनी बर्बरता  का शिकार बनाया है। विद्यार्थी अपने भविष्य को संवारने के लिए तालीम हासिल कर रहे थे। जहाँ हसीन सपने  जन्म ले रहे थे, 
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रश्मि रविजा  
Ghughuti Basuti जी ,ब्लॉग जगत में और अब फेसबुक पर भी अपने प्रखर विचार को दृढ़ता से रखने के लिए  मशहूर एक जाना पहचना नाम हैं . अपने चर्चित ब्लॉग * घुघूती .. 
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साधना वैद  
कल श्रीमान जी के साथ फिर बहस छिड़ गयी ! मुद्दा था ‘राहुल’ शब्द का अर्थ क्या होता है ! मेरा कहना था कि  राहुल का अर्थ होता है सारे दुःख दर्द और मुसीबतों को जीत लेने वाला  
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रविकर जी  
लाम बंद हैं सिरफिरे, फैलाएं आतंक। 
माँ-बहनों के बदन पर, स्वयं मारते डंक। 
स्वयं मारते डंक, मचाएं कत्लो-गारद। 
मुल्ला पंडित मौन, मौन विज्ञान विशारद। 
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धन्यवाद, आपका दिन मंगलमय हो। 

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