फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, नवंबर 28, 2015

"ये धरा राम का धाम है" (चर्चा-अंक 2174)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

--

रम रहा सब जगह राम है।
ये धरा राम का धाम है।।

सच्चा-सच्चा लगे,
सबसे अच्छा लगे,
कितना प्यारा प्रभू नाम है।
ये धरा राम का धाम है
--

अफ़सोस की बात है आश्चर्य की नहीं संविधान दिवस पर संविधान निर्मातों के अवदान की चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन धूर्त कांग्रेस ने ने उसे भी आत्मश्लाघा और बीजेपी की निंदा में तब्दील करके रस लिया। मंथरा पूरे आवेग के साथ खिलखिलाई मुस्काई जैसे इस सबका श्रेय भी उसका निजी योगदान रहा आया हो।पहली बार मंथरा इतना खुश देखीं गईं । 

Virendra Kumar Sharma 
--
--
--

दोस्ती साईकिल से ६:  

ऊँचे नीचे रास्ते 

और मन्ज़िल तेरी दूर. . . 

Niranjan Welankar 
--

डा रंगनाथ मिश्र सत्य के हाइकू.... 

मैं जानता हूँ
तुम्हारी हर चाल
पहचानता हूँ |

कहता नहीं
लेकिन कहना भी
नहीं चाहता... 
shyam Gupta  
--
--
--

कबाड़ -  

कविता 

*(शब्द और चित्र: अनुराग शर्मा) * 
यादों का कबाड़ कचरा ढोते रहे 
दुखित रोते रहे 
कबाड़ के ढेर में 
खुद को खोते रहे 
तेल जलता रहा 
लौ पर न जली था 
अंधेरा घना 
जुगनू सोते रहे 
शाम जाती रही 
दिन बदलते रहे 
बौर की चाह में 
खत्म होते रहे 
Smart Indian 
--

रोटी बेटी 

rotii के लिए चित्र परिणाम
रोटी ताती चाहिए ,ठंडी नहीं सुहाय |
नखरे क्यूं  करता भला ,बात समझ ना आय ||
बात समझ ना आय ,अरे तू कैसा मूरख |
खाले अब चुपचाप ,उतारी है क्यूं सूरत... 
Akanksha पर Asha Saxena 
--
--
--

मसला पूरी ग़ज़ल का था 

मिसरे पर ही अटक गए 
नाजुक रिश्ते... 
चांदनी रात पर रजनी मल्होत्रा नैय्यर 
--

ये राजनीतिक कटरपंथी हैं 

अब नहीं होते चौराहों पर पंगे 
न धर्म के नाम पे हिन्दू मुस्लिम के दंगे। 
न सुनाई देता है मंदिर मस्जिद का शोर 
अमन है अब चारों ओर। 
थम जाएगा भ्रष्टाचार भी 
चल रही है लाठी कड़े कानून की। 
पर खतरा है अभी लोकतंत्र पे, 
कटरपंथियों की विचार धारा से... 
मन का मंथन  पर kuldeep thakur 
--

आज पुरानी डायरी में 

बेशुमार प्यार पढ़ा …… 

बीते लम्हों मे भरा एतबार पढ़ा  
हँसी और आंसुओं का सैलाब पढ़ा 
आज पुरानी डायरी मे 
बेशुमार प्यार पढ़ा … 
प्यार पर Rewa tibrewal 
--

जासूस 

जासूस कब किस रूप में 
क्या बन कर सामने आ जाए 
नहीं पता होता किसी को। 
पता तो तब चलता है 
जब पंछी फँसता है जाल में 
और कैद हो जाता है 
किसी पिंजरे में... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
--

असहिष्णुता तो दिल्ली की सडकों पर भी है 

लेकिन बचकर कहाँ जाएँ हम ---

आजकल स्मार्ट फोन के साथ कारें भी स्मार्ट आ गई हैं। यदि आप घर से बिना सीट बैल्ट लगाये ही निकल पड़े तो आपकी गाड़ी टें टें करके आपके कान खा लेगी जब तक कि आप सीट बैल्ट लगा नहीं लेते। इसी तरह दरवाज़ा खुला होने पर भी आपको सूचित कर देगी। पैट्रोल कम होने पर वह आपको यह भी बता देगी कि आप कितनी दूर और जा सकते हैं। इसके अलावा सुख सुविधा के सभी साधन तो गाड़ी में होते ही हैं। लेकिन दिल्ली जैसे शहर की सडकों पर चलते हुए आपको ट्रैफिक स्मार्ट नहीं मिलेगा। बल्कि इतना अनुशासनहीन मिलेगा कि यदि आप स्वयं गाड़ी चला रहे हैं तो आपका ब्लड प्रेशर बढ़ना निश्चित है... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 
--
--

रामनामी ओढ़कर, 

बधिक मत बने 

भारतीय संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बड़े गर्व से कहा कि संविधान में 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द का सबसे ज्यादा दुरूपयोग हुआ है इस शब्द के दुरूपयोग को रोका जाए कहीं न कहीं उनके मन कि कसक छलक आयी आजादी की लड़ाई के लि नौजवानों को रोकने का प्रयास किया था और कहा था कि हिन्दुत्व मुख्य चीज है और हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को पेश किया था ब्रिटिश-साम्राज्यवाद से हिन्दुत्ववादी शक्तियों को कोई दिक्कत नहीं थी। ‘सेकुलरिज्म’ संविधान की प्रस्तावना में ही निहित है जिसका आशय यह है कि ‘देश का कोई धर्म नहीं है... 
Randhir Singh Suman 
--

संस्मरण  

"उपहार" 

पहाड़ में मामा-मामी उपहार में मिले

   यह बात 1966 की है। उन दिनों मैं कक्षा 11 में पढ़ रहा था। परीक्षा हो गईं थी और पूरे जून महीने की छुट्टी पड़ गई थी। इसलिए सोचा कि कहीं घूम आया जाए। तभी संयोगवश् मेरे मामा जी हमारे घर आ गये। वो उन दिनों जिला पिथौरागढ़ में ठेकेदारी करते थे। उन दिनों मोटरमार्ग तो थे ही नहीं इसलिए पहाड़ों के दुर्गम स्थानों पर सामान पहुँचाने का एक मात्र साधन खच्चर ही थे... 
--

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।