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शनिवार, अक्तूबर 17, 2015

"देवी पूजा की शुरुआत" (चर्चा अंक - 2132)

मित्रों।
शनिवार के चर्चा के अंक में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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देवी पूजा की शुरुआत 

देहात पर राजीव कुमार झा 
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जीजिविषा- 

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मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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मछलियाँ और स्त्रियां... 

मछलियाँ और स्त्रियां
कितना साम्य है
दोनों ही में !

मछलियाँ पानी में रहती है
और
पानी भरे रहती है आँखों में... 
नयी उड़ान + पर Upasna Siag 
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प्रतिकार विहीनों को ..... 

अधिकार नहीं मिलते ,प्रतिकार विहीनों को 
जीना भी क्या जीना है अधिकार विहीनों को -

कहाँ गिरेंगे क्या मालूम शोलों पर या सागर मेँ
ले जाती हवा उड़ा करके पत्ते शाखविहीनों को-.. 
उन्नयन  पर udaya veer singh 
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एक दिन - राकेश रोहित
सीधा चलता मनुष्य 
एक दिन जान जाता है कि 
धरती गोल है कि 
अंधेरे ने ढक रखा है रोशनी को कि 
अनावृत है सभ्यता की देह 
कि जो घर लौटे 
वे रास्ता भूल गये थे!... 
आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya
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कहे ये जिंदगी पैहम - 

न कोशिश ये कभी करना . 

दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,
बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.... 
! कौशल ! पर Shalini Kaushik 
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एक ग़ाफ़िल से मिल के आए हैं 

आप जब भी हमें बुलाए हैं 
कुछ न कुछ बेतुकी सुनाए हैं 
यूँ समझिए के आपका है लिहाज़ 
वर्ना हम भी पढ़े पढ़ाए हैं... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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सियासी हलकों में पूजने लगा है . 

दिया अदब का अब बुझने लगा है 

...तुम्हारी गोलबंदी अब न  चलेगी  जानते हो तुम
अपने हालात को अच्छी तरह पहचानते हो तुम ......!
            तुम्हारी हर हकीकत से जो पर्दा  उठने लगा है ..!! 
मिसफिट  पर Girish Billore 
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विश्वास.... 

जब तक विश्वास था मुझे तुम पर 
अटूट प्रेम था मुझे तुम से... 
जिंदगी और रंग-मंच 
एक नहीं अलग हैं 
जिंदगी हकीकत है... 
मन का मंथन  पर kuldeep thakur 
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दाल रोटी खाओ 

और प्रभु के गुण गाओ ... 

राम मिलाई जोड़ी। ये कहावत सिर्फ पति पत्नी पर ही नहीं , खाने पर भी लागु होती है। जैसे दाल- रोटी , दाल- चावल , राज़मा- चावल। लेकिन इसका भी एक वैज्ञानिक कारण होता है। हमारी शारीरिक संरचना और स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए ९ आवश्यक अमीनो एसिड्स ( essential amino acids) की आवश्यकता होती है... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 
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ग़ज़ल 

"अपनी मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए" 


लालची कुत्तों से दामन को बचाना चाहिए।
अज़नबी घोड़ों पे बाज़ी ना लगाना चाहिए।।

आज फिर खुदगर्ज़ करने, चापलूसी आ गये,
चापलूसों पर भरोसा ना जमाना चाहिए।

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