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सोमवार, अगस्त 03, 2015

****महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं**---चर्चा अंक 2056..

जय माँ हाटेश्वरी...
--
 नम आंखों से आज की चर्चा का आरंभ...युगपुरुष अब्दुल कलाम जी    के   कुछ अनुमोल विचारों से...
**इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे
 ****महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं**
**भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मष्तिष्क और व्यक्तित्व में  असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं. इश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित
करने में मदद करती है
****क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है* *
**अगर किसी देश को भ्रष्टाचार – मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो , मेरा दृढ़तापूर्वक  मानना  है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये
कर सकते हैं. पिता, माता और गुरु
****यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा
****आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके
****इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं**
**किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया.**
**अपने मिशन में कामयाब होने के लिए , आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा.**
**मुझे बताइए , यहाँ का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है? भारत में हम अपनी अच्छाइयों, अपनी उपलब्धियों को दर्शाने में इतना शर्मिंदा क्यों होते हैं?
हम एक माहान राष्ट्र हैं. हमारे पास ढेरों सफलता की गाथाएँ हैं, लेकिन हम उन्हें नहीं स्वीकारते. क्यों?
**
पर तुम्हारा
अनंत विस्तार लिखने के लिये
मेरी  कलम के पास 
 शब्द नहीं है।
मैं और मेरी कलम
आज दोनों मिलकर
तुम्हे शत शत
नमन करते हैं!
इस महानायक को शत शत नमन करते हुएचलते हैं आज की चर्चा की ओर...

आकांक्षा से भरे नयन हैं
नहीं तुम्हारे आश्वासन अब काम तुम्हारे आयेंगे,
हर हाथों को काम, और यह अश्रु सूख जब जायेंगे,
तभी समझना जनमानस-स्नेह, हृदय की धड़कन को,
अपना ही पाओगे हर क्षण, तब समाज में जन जन को।

--
सभी पाठकों को मैत्री-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।


गिद्ध उड़ नहीं रहे हैं कहीं गिद्ध जमीन पर हो गये हैं कई
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 सुना जा रहा है
गिद्धों के बहुत
नजदीक ही कहीं
आस पास में
होने का अहसास
बड़ रहा है
कुछ नोचा जा रहा है
--
बड़े लोग - संजय भास्कर 
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पर कोई असर न हुआ
मेरे चिल्लाने का
बड़ी बिल्डिंग के लोगो पर
.....क्योंकि सो जाते है
घोड़े बेचकर अक्सर
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग ......!!
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मृत्युदण्ड के औचित्य पर एक अनावश्यक चर्चा
समाज अनुशासन से चलता है और अनुशासन के लिये कठोरता आवश्यक है । जघन्य अपराधी को मृत्युदण्ड मिलना ही चाहिये । युद्ध राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के अतिवाद और
राजनीतिज्ञों के अहंकार के परिणाम हैं ... इन्हें रोका जाना चाहिये । जो लोग मृत्युदण्ड के विरोधी हैं उन्हें मानवीय आधार पर सैन्ययुद्धों के विरोध में विश्वजनमत
के लिये अपनी शक्ति का उपयोग करना चाहिये ।
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ठाकुर का कुंआ (कहानी)प्रेमचंद
प्रस्तुतिः डॉ. शरद सिंह
            गंगी के हाथ रस्सी छूट गई । रस्सी के साथ घड़ा धड़ाम से पानी में गिरा और कई क्षण तक पानी में हिलकोरे की आवाजें सुनाई देती रहीं ।
           ठाकुर ‘कौन है, कौन है ?’ पुकारते हुए कुंए की तरफ जा रहे थें और गंगी जगत से कूदकर भागी जा रही थी ।
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बुद्धिजीवी मने क्या?
Dev K Jha
- मोदी को वीज़ा न देने की चिठ्ठी लिखने वाले
- अफज़ल गुरु की फांसी का विरोध करने वाले
- कसाब की फांसी का विरोध करने वाले
- मेमन की फांसी का विरोध करने वाले
और इस लिस्ट में जो भी नाम कॉमन हो, पता लगाया जाए उसकी संदिग्ध गतिविधियों का। यह निःसंदेह बड़े देशद्रोह की साज़िश का खुलासा करेगा।
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 भगवान पर सच्चा विश्वास
Kmsraj51 की कलम से…..

उस महिला ने बेहतरीन जवाब दिया- मैं इतना क्यों सोंचू या पूंछू, मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है, मेरा भगवान जब आदेश देते है तो शैतानों को भी उस आदेश का पालन
करना पड़ता है।
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मैं हार जाती हूं
प्रीति सुराना
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तुझे क्या लगता है
मुझे जीतना नही आता,..???
मैं हार जाती हूं अकसर
तुझी को जीत जाने के लिए,...
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लोकमान्य" की ९५ वीं पुण्यतिथि
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तिलक ने यूँ तो अनेक पुस्तकें लिखीं किन्तु श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या को लेकर मांडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद
हुआ है। मरणोपरान्त श्रद्धांजलि देते हुए गान्धी
जी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक बतलाया।
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राजा दशरथ का कैकेयी के भवन में जाना, उसे कोपभवन में स्थित देखकर दुखी होना
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किस दरिद्र को धन दे दूँ, किसको मैं कंगाल बना दूँ
हैं अधीन तुम्हारे हम सब, जो चाहो पूरा कर दूँ
प्राण भी देने पड़ें मुझे तो, वही करूंगा जो तुम चाहो
सत्कर्मों की शपथ उठाता, संदेह को दूर भगा दो
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राम नरेश 'उज्ज्वल' की दस नई ग़ज़लें
फूल  खिला  है  पत्थर क्यों,
धरती  का  आभास मिला है।
 पिंजड़े  में  कब  तक रखोगे,
उड़ने को  आकाश मिला है।
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तेरे रंग में रंगी
अपना सुख न खोना चाहती |
प्रीत का प्रगाढ़ रंग
भीग भीग जाता तन मन
जमुना तट पर करे रास
राधा मन की भोली |
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चार उचक्के चालीस चोर आजकल संसद में इसी तरह कुत्ताये हुए हैं जिन पर किसी चर्च की एजेंट का रंग चढ़ा हुआ है
अपने पेट् का एक्सक्रीटा पूपर स्कूपर से लिफ्ट करके  यहां के लोग पॉलिथीन में रख लेंगें। घर लाकर उसका निपटान करेंगे। उस दिन मुझे पता चला संग का रंग चढ़ता हैऔर बाकायदा चढ़ता है। इन साहब के डॉगी पर भी क़ानून को धता बताके किसी जोगर पर कुतियाने का रंग चढ़ चुका था। वह आदमी भागने लगा और ये साहब टी टो। .. टी .. टो करते
रहे। टी .. टो  नाम है इस डौगी का अब तक आप समझ गए होगें।
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Mehndi design
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दोहे "उतना पानी दीजिए, जितनी जग को प्यास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
वर्षा लाती हर्ष को, देती कहीं विषाद।
नदिया तट पर सोचता, नौका लिए निषाद।।
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जब सूखे थे खेत-वन, निर्मल था आकाश।
अब अतिवर्षा देखकर, मन हो गया उदास।।
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देश खुशहाल है ?
• समझदारी से थाली में उतना ले, जितना खा सकते हैं
• जरुरत पड़ने पर हर भोज्य को, बार बार ले सकते हैं
• सोचो जरा उन गरीब लाचार ,निराश्रय लोगो के बारे में
• देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं ,जो भूखे पेट सोते हैं |

धन्यवाद।

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