फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, अप्रैल 23, 2015

"विश्व पृथ्वी दिवस" (चर्चा अंक-1954)

मित्रों।
शायद आदरणीय दिलबाग विर्क जी
किसी अपरिहार्य काम में व्यस्त हो गे।
इसलिए बृहस्पतिवार की चर्चा में 
मेरी पसन्द के लिंक देखिए।
--
--

विश्व पृथ्वी दिवस ! 

मैं धरती
मैं पृथ्वी
मैं धरा कही जाती हूँ।
मैं जीवन
मैं घर द्वार
मैं सरिता ,जंगल -वन , पर्वत, 
सदियों से धारे हूँ।...
hindigen पर रेखा श्रीवास्तव 
--
--
--
--
--

बजा रहा इकतारा पानी 

संग बादलों के जो तब था, उड़ता पानी  
अब बोतल में बजा रहा इकतारा पानी  
गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी 
--

यादें कुछ... 

कुछ दुआएं! 

कैसे कैसे तो... 
कहाँ कहाँ से हो कर गुजरता है जीवन... 
कितनी ही यादें हैं... 
कितना कुछ जी चुके हैं हम... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
--

चार पल 

प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम
दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल  से

दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर
दोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल से... 
Madan Mohan Saxena 
--
--

घर कहाँ है,  

मालूम नहीं 

कूड़ेदान के बिलकुल बगल मे रह रहे अशोक जी का कहना है की उनकी पूरी ज़िंदगी मे इतनी तकलीफ़े नहीं देखी होगी जितनी की उन्होने यहाँ पर पिछले एक महीने मे देख ली हैं। जो उन्हे पूरी ज़िंदगी याद रहेगी। अपने दिहाड़ी मजदूरी के काम मे इतने दर्द बरदस्त नहीं किए थे जो अब करने पड़े है उन्हे। अपने खाने के समान को एक जगह पर रखते हुये वो दूर देखने की कोशिश कर रहे हैं। शायद भीड़ के भीतर में से कुछ अपने लिए खोज रहे हो... 
एक शहर है पर Ek Shehr Hai 
--

गुलमोहर के खिले हुए फूल 

तात्पर्य पर कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र 
--
--

ख़ुशी की तलाश में 

शाम का समय था ,न जाने क्यों रितु का मन बहुत बोझिल सा हो रहा था , भारी मन से उठ कर रसोईघर में जा कर उसने अपने लिए एक कप चाय बनाई और रेडियो एफ एम् लगा कर वापिस आकर कुर्सी पर बैठ कर धीरे धीरे चाय पीने लगी | चाय की चुस्कियों के साथ साथ वह संगीत में खो जाना चाहती थी कि... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
--

क्षमा वीरस्य भूषणम......! 

ईश्वर ने इंसान को बहुत सारी अच्छाइयों से नवाज़ा है। उन अच्छाइयों में एक अच्छाई है 'क्षमा'। किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और उस व्यक्ति को आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है । 'क्षमा' इंसान का अनमोल व सर्वौतम गुण है, क्षमाशील व्यक्ति हमेशा संतोषी, वीर, धेर्यशील, सहनशील तथा विवेकशील होता है... 
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा 
--
--

तुमसे मिलकर 

palash "पलाश" पर डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 
--
--
--
--
Sudhinama पर sadhana vaid 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।