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सोमवार, सितंबर 16, 2013

गुज़ारिश प्रथम पुरूष की :चर्चामंच 1370

शुभम दोस्तों 
मैं 
सरिता भाटिया 
लाई हूँ 
चर्चामंच 1370
पर 
मैं आकाश देखता हूँ 

जंगल की डेमोक्रेसी 

सटीक निर्णय 
मोहब्बत को इनस्टॉल कर 

आदमी

सस्ता इक इन्सान 

कानून और दंड 

वली शीरी जबानी की नहीं है 

एक सुखद आश्चर्य 
शिव ही सुन्दर 

मनु
Photo: मेरे माधव ! 
मेरी आत्मा में बसे मनु हो तुम 
प्रलय के बाद शांत बेठे उसी चटान पे 
अपने में खोये 
और में तुम्हे अपक  निहारती 
तुम्हारे अन्तस् की तन्हाई को 
तुम कभी बंसी की धुन में बहलाते हो 
तो कभी गीता का कर्म ज्ञान देते हो ....
मेरे सरल सीधे से पीया 
ये क्यों नहीं कहते तुम 
मेरी ही तरह अपनी पीया की बाहों में टूट के बिखर जाना चाहते हो तुम 
काहे रास रचाने के नाम पे अपने मन को बहलाते हो 
टूटे टूटे से हो ,,अन्तस् से बिखरे -बिखरे से हो 
तो फिर पीया 
अधरों पे बसी धर अपनी स्वप्न संगिनी को यथार्थ में बुलाते क्यों नहीं .......
वो कोई एक तो होगी न कृष्णा तुम्हारे लिए 
जो बनी होगी हर श्वास 
प्रियतम 
सिर्फ तुम्हारी रूहे सुकून के लिए ...........श्री चरणों में अनुभूति

आइबॉल मैसेंजर 

मैं से भरा उससे खाली 

चाइनीज पेंटिंग

क्या रिश्ता है तेरा मेरा 

महेश चन्द्र पुनेठा 

नाता तेरा मेरा 

अभिशाप 

तुम्हें याद है वोह लम्हा 

हरा घंटाघर 
Cathedral and green roofed bell tower, Dobbiaco, Italy - images by Sunil Deepak, 2013

हबीब के लक्ष्मी गणेश 

सैनिकों का अपमान ना करे

एक बहुत पुराना गीत 

बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
शुभविदा 
--
"मयंक का कोना"
--
घर से चिट्ठियाँ नहीं आतीं

शब्द सक्रिय हैं 

--
कच्ची मिट्टी...

स्पंदन SPANDAN पर  shikha varshney

--
"हिन्दीदिवस पर एक गीत और एक कविता"
हिन्दीदिवस पर सभी देशवासियों को
हार्दिक शुभकामनाएँ!
इस अवसर पर प्रस्तुत हैं
एक गीत और एक कविता !
हिन्दीभाषा को अपनायें।
आओ हिन्दीदिवस मनायें।।

हिन्दीवालों की हिन्दी ही-
क्यों इतनी कमजोर हो गयी?
भाषा डूबी अंधियारे में,
अंग्रेजी की भोर हो गई।
एक वर्ष में पन्द्रह दिन ही-
हिन्दी की गाथा को गायें।
आओ हिन्दीदिवस मनायें।१।
उच्चारण
--
मधु सिंह : दिल उगाना चाहता है

वो   मुझको   अपना   बनाना   चाहता है
मेरे दिल पर अपना दिल उगाना चाहता है
 इक हादसे में  कट  गये  दोनों हाथ मेरे  वो अब मुझको अपना हाथ देना चाहता है...


--
देखा एक ख्वाब...

हृदयगाथा : मन की बातें ...

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"अरमानों की डोली"
 
अरमानों की डोली आई, जब से मेरे गाँव में।
पवनबसन्ती चलकर आई, गाँव-गली हर ठाँव में।। 
बने हकीकत, स्वप्न सिन्दूरी, चहका है घर-आँगन भी,
पूर्ण हो गई आस अधूरी, महका मन का उपवन भी,
कोयल गाती राग मधुर, पेड़ों की ठण्डी छाँव में।
पवनबसन्ती चलकर आई, गाँव-गली हर ठाँव में।। 
"धरा के रंग"
--
मुझे मालूम है तुम वहां नहीं हो

नयी उड़ान + पर उपासना सियाग

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न बह जाएँ ये आँसू…

झरोख़ा पर  निवेदिता श्रीवास्तव 

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अब कौन लिखेगा वक़्त के होंठो पर प्रेम गीत

Rhythm पर नीलिमा शर्मा

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प्रथम पुरूष को श्रद्धांजलि
कल एक अजीब वाकया हुआ ,मुझे अपनी फेसबुक मित्र पूनम माटिया जी का फ़ोन आया मेरा हाल चाल पूछने के बाद उन्होंने पूछा पूनम :आपकी दीपक अरोड़ा जी से कब बात हुई मैं : यही कोई 29 अगस्त को वोह भी केवल whatsapp पर msg के द्वारा क्योंकि मैंने अपनी एक कविता उनको पोस्ट की क्यों ? क्या हुआ ? पूनम:मुझे किसी का msg आया दीपक अरोड़ा is no more. मैं: आपने कन्फर्म किया वोह anjum वाले ही हैं या कोई और ना हो पूनम:जी उसने कहा गंगानगर वाले ,आपके पास उनका नंबर होगा आप उनको कॉल करके देखो और मुझे बताओ क्योंकि मेरे पास उनका नंबर डिलीट हो गया...
मेरी सच्ची बात

26 टिप्‍पणियां:


  1. सौमवार की पहली चर्चा के साथ मन प्रसन्न हुआ।
    उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।

    आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
    हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
    इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।



    मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]


    जवाब देंहटाएं
  2. सरिता जी शुभ प्रभात |चर्चा मंच पर उम्दा लिंक्स और समाचार |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. नमस्कार आशा दीदी ,आप कृपया सरिता ही कहें ,सरिता जी नहीं

      हटाएं
  3. सुंदर संकलन भाटिया जी । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
    आभार सरिता जी...आपका।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर-सहज-प्रीतिकर चिट्ठों का संकलन सरिता जी - बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत परिश्रम से सहेजे हुए लिंक्स.. सुन्दर और पठनीय .. मुझे स्थान देने का शुक्रिया ..

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरी पोस्ट को चर्चामंच में स्थान देने के लिए सरिता जी आप को बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी मेहरबानी मुझ पर खास रही ,एक साथ 2 पोस्ट्स को शामिल करने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रिय सरिता जी बहुत अच्छी चर्चा लगाई है सभी सूत्र पठनीय हैं हार्दिक बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  10. आज मैं आपको शुक्रिया भी नही कहूँगी शास्त्री जी मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिय क्योकि मैं नही चाहती कि मेरी जिन्दगी में कभी कोई ऐसा दिन आये और मुझे किसी मित्र के लिय श्रधांजलि लिखनी पड़े ....... हर दिल आज रो रहा हैं .उनकी फेस बुक वाल पर सन्देश बता रहे हैं उनके हृदय की मिठास को जिन्होंने इतनी मिठास बांटी वोह लो सुगर की वज़ह से नीम बेहोशी में चल बसा .......बहुत दुखद घटना .......



    दीपक अरोरा जी ................................
    और आपने अपनी जिन्दगी के दिन गिने ही क्यों। ……


    हमेशा याद रहेंगे आप अपनी कविताओ के लिय
    अपनी दोस्ती के लिय


    भावभीनी श्रद्धाँजलि..ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुःख से उबरने की सामर्थ्य दें !!! —

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  11. सबसे दूर चला गया पंछी, छूट गए लोगों को रोता छोड़!
    दीपक जी रोशन रहेंगे सदा हमारी यादों में!

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर लिनक्स का संयोजन सरिता जी

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर लिनक्स का संयोजन सरिता जी

    जवाब देंहटाएं
  14. बढ़िया लिंक्स-सह चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर संयोजन, चर्चामंच में शामिल करने हेतु असंख्य धन्यवाद - - नमन सह.

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  16. बहुत सुंदर चर्चा सरिता जी, आभार इसमें नुझे शामिल करने के लिए.

    जवाब देंहटाएं

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