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सोमवार, फ़रवरी 25, 2013

सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1166

दोस्तों ग़ाफ़िल का आदाब क़ुबूल फ़रमाएं!
पेशेख़िदमत है सोमवारीय चर्चा के लिए कुछ लिंक-
‘मयंक’ कोना

    और अन्त में कार्टून
           
    आज अब बस! फिर मिलने तक नमस्कार!

    28 टिप्‍पणियां:

    1. बेहतरीन प्रस्तुति । सार्थक ।
      आभार गाफ़ि जी

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    2. बहुत सीधी-सादी मगर सारगर्भित चर्चा!
      आभार ग़ाफ़िल सर!

      जवाब देंहटाएं
    3. बढिया चर्चा भाई चंद्रभूषण जी, मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया

      जवाब देंहटाएं
    4. सतरंगी पठनीय लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा में मेरे लिंक को शामिल करने के लिए आभार !!

      जवाब देंहटाएं
    5. बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय-
      कल रांची प्रवास पर था -
      शुभकामनायें-

      जवाब देंहटाएं
    6. बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति,आभार.

      जवाब देंहटाएं
    7. अहा! सुन्दर चर्चा हो रही है..

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    8. आदरणीय सर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बढ़िया चर्चा हार्दिक बधाई

      जवाब देंहटाएं
    9. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने ... आभार

      जवाब देंहटाएं
    10. Thank You So much Gafil ji ,
      Mohabbat Nama ki post ''Dosti ka falsafa'' aapne charcha me shamil ki. vaise bhi ye pahli aisi post ban gyi hai ,jiske bare me mujhe sabse jyada emails mil rhe hain.isse pahle kbhi kisi post ka itna respons nhi mila.Thanks for charchamanch.

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    11. तमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .

      अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते -शालिनी कौशिक

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    12. हुआ जो सावन में अँधा दिखे है सब हरा उसको ,
      ऐसे रोगी जहाँ में क्यूं यूँ खुले फिरते हैं .


      तमाम अशआर बला की खूब सूरती मुख्तलिफ अंदाज़ लिए हैं .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .अंदाज़े बयाँ आपका .हर शैर एक अलग रवानी लिए हुए है .

      अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते -शालिनी कौशिक

      जवाब देंहटाएं
    13. बहुत जानकारी परक प्रस्तुति व्यंग्य विनोद लिए .सार लिए छंद के स्वरूप का .आभार .
      छन्द क्या होता है? -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    14. .बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने . .मेरी पोस्ट को ये सम्मान देने के लिए आभार अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते हैं . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

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    15. सोये हुए को जगा सकते हैं आप जो जागा हुआ है ,खाया ,अघाया हुआ है उसे कैसे जगाइयेगा .इस तंत्र में मक्कारों की पौ बारह है .

      क्या कोई इसका तोड़ बतायेगा? -काज़ल कुमार

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    16. ज़वाब नहीं सेतुओं का संक्षिप्त लेकिन सुन्दर चर्चा सार्थक सेतु संयोजन .

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    17. बढ़िया लिंक्स प्रस्तुत की है। आभार

      नया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर

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    18. सुंदर पठनीय लिंक्स. सादगी भी तो क़मायत की अदा होती है. मेरे लिंक को सम्मिलित करने के लिए आभार...

      जवाब देंहटाएं

    "चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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